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प्राकृतिक खेती पर प्रारंभिक अध्ययनों के नतीजे
- प्रदेश के सभी 4 जलवायु क्षेत्रों के 325 प्राकृतिक खेती किसानों के ऊपर किए अध्ययन में खेती के साथ फल उत्पादन कर रहे किसानों का प्रतिशत सबसे अधिक 40.6 प्रतिशत रहा और उन्होंने माना कि इस खेती विधि से उनका शुद्ध लाभ भी 21.44 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसके साथ ही उनकी लागत में 14.34 से 45.55 प्रतिशत की कमी और कुल आय में 11.8 से 21.55 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है। यह दर्शाता है कि प्राकृतिक खेती पारम्परिक खेती की तुलना में ज्यादा कारगर है।
- गेहूँ की खेती करने वाले 254 किसानों के ऊपर किए गए अध्ययन में इन किसानों की लागत में 28.11 फीसदी की कमी आई है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती विधि को पारम्परिक खेती के मुकाबले पीला रतुआ बीमारी से निपटने में 75.05 फीसदी बेहतर पाया गया है।
- सेब बागवानों के ऊपर किए गए अध्ययन में पारम्परिक खेती के मुकाबले प्राकृतिक खेती में कई मायनों में लागत में कमी आई है। फलोत्पादन और कीमत की श्रेणी में दोनों खेती विधियां बराबर आंकी गई हैं, लेकिन कम लागत होने की वजह से प्राकृतिक खेती विधि में किसानों के शुद्ध लाभ में 27.41 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। अध्ययन में शामिल अधिकतर बागवानों ने इस बात की पुष्टि की है कि प्राकृतिक खेती में उनकी लागत 56.5 प्रतिशत तक घटी है, स्वाद बेहतर हुआ है और सूखे की स्थिति में फसलें बेहतर रही हैं।