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  • सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती
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  • राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई 
 
विस्तृत जानकारी

हमारे बारे में

किसान आय वृद्धि और उनके दीर्घकालिक कल्याण के लिए प्रदेश सरकार कृतसंकल्प है। यह देश की पहली सरकार बनी है जिसने किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वर्ष 2018 में ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना की शुरूआत की है। राज्य सरकार ने कृषि-बागवानी में रसायनों के प्रयोग को कम करने के लिए इस योजना के तहत ‘सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती’ विधि को लागू किया है। 
प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी ने प्राकृतिक खेती पर विशेष बल देते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 7.28 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान किया है।

 
सितारा

CETARA (Certified Evaluation Tool for Agriculture Resource Analysis) में सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करें

 
  • पंजीकरण-संसाधित कृषि प्रमाणित उपकरण प्राकृतिक खेती

    प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना "सितारा" में पंजीकरण करने हेतु "पंजीकरण" मेन्यू पर क्लिक करें तथा दिए गये फ़ार्म को भरें

  • ओ टी पी

    पंजीकृत मोबाइल नंबर पर OTP प्राप्त करें तथा दिए गये फ़ार्म में OTP अंक भरें

  • व्यक्तिगत विवरण

    पंजीकरण प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए ( श्रेणी,ज़िला,ब्लॉक,पंचायत,गाँव,ई-मेल आईडी,लिंग,आधार नंबर ) व्यक्तिगत विवरण दें

  • भूमि फसल विवरण

    पंजीकरण प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए (भूमि ,खरीफ फसल,रबी फसल,मिश्रित फसल वाली फसलों के साथ फल फसलें) भूमि फसल विवरण दें

  • प्रश्नावली

    पंजीकरण प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए (SPNF इनपुट उपयोग और अभ्यास,SPNF में अनुभव,उपयोग मिश्रण,बाहरी रूप से प्राप्त  इनपुट आदानों का उपयोग,उपयोग किए गये रासायनिक इनपुट) के प्रश्न का उत्तर दें

  • पड़ोसी किसान विवरण

    आपका आवेदन जिन किसानों के द्वारा सत्यापन किया जाना है कम से कम किन्ही तीन किसान (नाम,पिता / पति का नाम,मोबाइल नंबर) का विवरण दे

  • पड़ोसी किसानों द्वारा सत्यापन

    पड़ोसी किसान विवरण में दिए गये किन्ही तीन किसानों द्वारा सत्यापन

  • एटीएम/बीटीएम द्वारा सत्यापन

    व्यक्तिगत रूप से किसान द्वारा प्रदान किए गये विवरण तथा पड़ोसी किसानों से इसकी पुष्टि का एटीएम/बीटीएम द्वारा सत्यापन

  • सर्टिफिकेट

    एटीएम/बीटीएम द्वारा सत्यापन होते ही " सितारा रेटिंग सर्टिफिकेट " प्राप्त हो जाएगा

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रेटिंग का तरीका

खेती के तरीके पर आधारित

प्राकृतिक खेती

इस पद्धति से फसलों को उगाने में बाजार से किसी प्रकार के रासायनिक खादों या कीटनाशकों के बिना अन्तर्वर्ती खेती कर खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है। इससे किसान खेती उत्पादन लागत को शून्य कर अपने परिवार की आर्थिकी को बढ़ा सकता है व समाज के स्वस्थ भोज्य पदार्थ उपलब्ध करवा कर 'स्वस्थ भारत-समृद्ध परिवेश' के स्वप्न करने में अपनी समर्थ भूमिका अदा कर सकता है।

रासायनिक खेती

खेती की ऐसी पद्धति जिसमें कीट-फफूंदनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग से फसल उत्पादन लिया जाता है। रासायनिक खेती में रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है। इस कारण किसान का रोजगार खत्म हो जाता है। ऐसी फसलें स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती तथा कई बीमारियां हो सकती हैं।

प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक खेती के संचालन के 4 चक्र

प्राकृतिक खेती कृषि-बागवानी की एक ऐसी अवधारणा है जो रसायनों के प्रयोग को हतोत्साहित कर, देसी गाय के गोबर-मूत्र और स्थानीय वनस्पतियों पर आधारित आदानों के प्रयोग का अनुमोदन करती है। कम लागत और पर्यावरण के साथ सद्भभाव बनाकर बेहतर उत्पादन देने वाली यह खेती तकनीक किसान की बाजार पर निर्भरता को कम करती है। इस खेती का मूलमंत्र हैः गांव का पैसा गांव में।

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सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती

जीवामृत

  • सामग्री मात्रा
  • पानी 200 लीटर
  • देशी गाय का मूत्र 8-10 लीटर
  • देशी गाय का गोबर 10 किलोग्राम
  • गुड़ या मीठे फलों का गूदा 1 किलोग्राम
  • बेसन या किसी दलहन का आटा 1 किलोग्राम
  • खेत के मेड़ या जंगल की मिट्टी50 ग्राम (1 मुट्ठी )
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सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती

बीजामृत

  • सामग्री मात्रा
  • पानी 20 लीटर
  • देशी गाय का मूत्र 5 लीटर
  • देशी गाय का गोबर 5 किलोग्राम
  • अनबुझा चूना 250 ग्राम
  • खेत के मेड़ या जंगल की मिट्टी50 ग्राम (1 मुट्ठी )
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सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती

आच्छादन

आच्छादन भूमि में उपलब्ध नमी को सुरक्षित रखने हेतू इसकी ऊपरी सतह को किसी अन्य फसल या फसलों के अवशेष से ढक दिया जाता है। इस प्रक्रिया से हयूमस' की वृद्धि, भूमि की ऊपरी सतह का संरक्षण, भूमि में जल संग्रहण क्षमता, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा में बढ़ोतरी के साथ खरपतवार का भी नियंत्रण होता है।

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सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती

वाफसा

यह वाफसा, भूमि में जीवामृत प्रयोग तथा आच्छादन का परिणाम है। जीवामृत के प्रयोग तथा आच्छादन करने से भूमि की संरचना में सुधार होकर त्वरित गति से 'हयूमस' निर्माण होता है। इस से अन्ततः भूमि में अच्छे जल प्रबंधन की प्रक्रिया आरम्भ होती है। भूमि के अंदर मिट्टी के 2 कणों के बीच जो खाली जगह होती है उसमें पानी का अस्तित्व नहीं होना चाहिए। पौधों के बेहतर विकास के लिए मिट्टी के दो कणों के बीच वाष्प और हवा का सम्मिश्रण 50-50 प्रतिशत होना चाहिए। इसी स्थिति को वास्तव में वाफसा कहते हैं।

कृषि योजनाएं

योजना का कार्यान्वयन

इस योजना के अंतर्गत किसानों में क्षमता निर्माण कर लगातार उनसे संपर्क बनाए रखने, निगरानी और नियमित सलाह एवं सहयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। किसान से किसान के बीच इस विधि का फैलाव करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाकर चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। किसानों को यह खेती विधि आसानी से समझ आ सके इसके लिए खेती विधि से सम्बंधित साहित्य भी राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई द्वारा निःशुल्क मुहैया करवाया जा रहा है ताकि इस पहाड़ी प्रदेश के छोटे एवं सीमांत किसानों के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सके। 

शीर्ष समिति (Ape Committee)- इस योजना का मार्गदर्शन प्रदेश स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में गठित शीर्ष समिति (Ape Committee) कर रही है।

विशेष कार्यबल (State Level Task Force) - योजना का संचालन एवं निगरानी प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित विशेष कार्यबल ; (State Level Task Force) कर रहा है। इस योजना की निगरानी ‘राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई’ प्रदेश के कृषि विभाग के माध्यम से कर रही है।

जिला स्तर पर इस योजना को आत्मा परियोजना के अंर्तगत चलाया जा रहा है, जिसमें जिला में तीन अधिकारी व खंड स्तर पर 3 खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधक शामिल हैं।

किसान सितारा प्रतिशत

 
 
 

प्राकृतिक खेती पर विचार 

 
 

आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में मां भारती की धरा को रसायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त करके प्राकृतिक खेती को अपनाने का संकल्प लें। आज हमें ऐसे भविष्य की तरफ बढ़ना है, जहाँ मिट्टी और हमारे बेटे-बेटियों का स्वास्थ्य उत्तम रहे। प्राकृतिक खेती से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत छोटे किसान । अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी।

 
 

हिमाचल देश का पहला राज्य है जहां सरकार ने नीतिगत फैसला लेते हुए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की शुरूआत की है जिसके अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को किसान-बागवानों के बीच पहुंचाया जा रहा है। समय के साथ अब इस योजना के अधीन जैविक और अन्य रसायनरहित खेती विधियों को भी लाया जा रहा है।

 
 

हिमाचल में ज्यादातर छोटे एवं सीमांत किसान हैं जिनके पास थोड़ी-थोड़ी भूमि है। इन किसानों के दीर्घकालिक कल्याण के लिए प्राकृतिक खेती सहायक सिद्ध हो रही है। इस खेती विधि से किसान थोड़ी भूमि में एक साथ बहुत सारी फसलें लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती

कृषि क्षेत्र में उच्च रेटिंग कृषक