किसी भी फसल या फल-पौधे की उत्पादन क्षमता उसके बीज, पौध या कंद के निरोग होने पर निर्भर करती है। फसलों के बहुत से रोग, कीट या अन्य विकार बीज के माध्यम से ही आते हैं। अत: आवश्यक है कि इन्हें लगाने से पहले इनका संस्कार हो ताकि विभिन्न प्रकार के बीज, पौध, कंद या पौध जनित रोग, कीट या अन्य विकार फसल-पौधों को नुकसान न करें।
बीजामृत देसी गाय के गोबर, मूत्र एवं बुझा चूना आधारित घटक से बीज एवं पोष-जड़ों पर सूक्ष्म जीवाणु आधारित लेप करके इनकी नई जड़ों को बीज या भूमि जनित रोगों से संरक्षित किया जाता है। बीजामृत प्रयोग से बीज की अंकुरण क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।