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  • सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती
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  • राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई 

क्या कहते हैं किसान

किसान कार्नर

क्या कहते हैं किसान

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अजय रत्न

इस खेती विधि से मुझे क्षेत्र में नई पहचान मिली है और मुझे अपने उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए नहीं जाना पड़ता। लोग मेरे घर में आकर उत्पाद खरीदकर ले जाते हैं और एडवांस बुकिंग भी करवाते हैं।

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हेतराम

पहले मैं हर साल डेढ़ लाख रूपये की खाद और कीटनाशक खरीदता था जिसके लिए मुझे कर्ज लेना पड़ता था। लेकिन जब से प्राकृतिक खेती को अपनाया है मैं कर्ज की चिंता से मुक्त हो गया हूं।

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सुरेंद्र मेहता

रसायनिक खेती के दौरान कीटनाशकों के छिड़काव से मेरे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा और मुझे 13 दिन अस्पताल में दाखिल रहना पड़ा। अब पिछले साढे़ तीन सालों से प्राकृतिक खेती कर रहा हूं और मुझे कोई भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत नहीं है। इसे अपनाने के बाद मैं पूरी तरह स्वस्थ एवं तंदरूस्त हूं।

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येशे डोलमा

प्राकृतिक खेती उत्पादों को लोग बहुत अधिक पसंद कर रहे हैं। बाजार में हमारे उत्पादों का लोग इंतजार करते हैं और जब हम बाजार में अपने उत्पादों को लेकर जाते हैं तो वे हाथों-हाथ बिक जाते हैं। धीरे-धीरे लोगों में प्राकृतिक खेती उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और इसकी मांग बढ़ती जा रही है।

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कौशल दत्त

सूखे और अन्य प्राकृतिक अपदाओं की स्थिति में भी फसलें अच्छी तरह से खड़ी रहती हैं और उत्पादन पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्राकृतिक खेती विधि में पानी की खपत भी कम होती है।

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अनिता नेगी

इस खेती विधि से सभी तरह की फसलों में सफलतापूर्वक उत्पादन लिया जा सकता है। मैनें फल, सब्जियों और अनाज फसलों में इसका सफल प्रयोग करके देखा है और मेरा उत्पादन किसी भी सुरत में कम नहीं हुआ है।

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शैलेंद्र शर्मा

इस खेती विधि में मुझे बाजार से कुछ भी लाना नहीं पड़ता है। मैं घर में मौजूद चीजों से ही इस खेती में प्रयोग होने वाले सभी आदान तैयार कर रहा हूं। इससे मेरा खर्च तो बिल्कुल कम हो गया है और उत्पादन में भी किसी तरह का असर नहीं पड़ा है।

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संजय कुमार

प्राकृतिक खेती विधि में हम एक साथ बहुत सारी फसलें लगाते हैं। जिससे हमें दो फायदे होते हैं एक तो यदि कोई एक किन्हीं कारणों से खराब हो जाती है तो दूसरी फसलें उसकी भरपाई कर देती हैं। दूसरा इससे किसानों को थोड़े-थोड़े समय में आय होती रहती है।

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थानापति महिला समूह रिस्पा

हमारे क्षेत्र में किसान-बागवान अधिक उपज पाने के लिए बहुत अधिक रसायनों का प्रयोग करते हैं। लेकिन जब से हमारे समुह ने बिना रसायनों और किटनाशकों के प्रयोग के प्राकृतिक खेती शुरू की है उसे देखकर गांव और पंचायत के अन्य लोगों ने इस खेती विधि को अपनाना शुरू कर दिया है।

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आदर्श महिला कृषक समूह

किसानों को प्रयोग के तौर पर इस खेती विधि को अपने किचन गार्डन और छोटे से खेत में जरूर करना चाहिए। हमने भी ऐसा ही किया था, जब हमें पहले ही साल में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले तो अब हमने इसका दायरा बढ़ा दिया है। इससे अब हमें पोषणयुक्त भोजन मिल रहा है।

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जसविंदर कौर

मैंने अपने पति से छुपकर इस खेती विधि को अपनाया था। जिसके चलते मुझे अपने पति और परिवार के विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन जब मुझे इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले तो मुझे मेरे परिवार का सहयोग मिला और अब मेरी देखा-देखी में गांव और क्षेत्र के अन्य लोग भी इस खेती को अपना रहे हैं।