प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन के लिए 4 स्तरीय रणनीति अपनाई जा रही है। प्रथम स्तर पर किसान-बागवानों का संवेदीकरण किया जाता है। इसके लिए राज्य एवं जिला स्तर पर बड़े स्तर के संवेदीकरण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें इस खेती के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर जी द्वारा प्रतिपादित प्राकृतिक खेती की अवधारणा के बारे में बताया जाता है। विभिन्न जिला ‘किसान गोष्ठियों’ के माध्यम से संवेदीकरण करते हैं।
द्वितीय स्तर पर किसान-बागवानों के लिए प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां किसानों को प्राकृतिक खेती पर जानकारी के साथ विभिन्न घटकों को बनाना भी सिखाया जाता है। ब्लॉक स्तर के अधिकारी पंचायत स्तर पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। हर प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 प्रतिभागी किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है। तृतीय स्तर में प्रशिक्षित किसानों को उत्कृष्ट प्राकृतिक खेती मॉडल पर भ्रमण करवाया जाता है ताकि वह इस खेती के परिणामों को स्वयं देख सकें और इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें। चतुर्थ स्तर पर किसान-बागवान प्राकृतिक खेती को अपनाना शुरू करते हैं। इस स्तर पर कृषि अधिकारी प्राकृतिक खेती से जुड़े नए किसान पर विशेष ध्यान देते हैं एवं खेती के विविध चरणों के बारे में उसका मार्गदर्शन करते हैं।