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सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के जनक
किसान आय वृद्धि और उनके दीर्घकालिक कल्याण के लिए प्रदेश सरकार कृतसंकल्प है। यह देश की पहली सरकार बनी है जिसने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपने को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वर्ष 2018 में ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना की शुरूआत की है। राज्य सरकार ने कृषि-बागवानी में रसायनों के प्रयोग को कम करने के लिए इस योजना के तहत ‘सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती’ विधि को लागू किया है। 25 करोड़ के वित्तीय प्रावधान के साथ शुरू की गई इस योजना ने किसान व बागवानों के व्यापक कल्याण एवं समृद्धि के लिए खेती की लागत को कम करने, आय को बढ़ाने, मानव एवं पर्यावरण पर रसायनिक खेती के पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचाने एवं पर्यावरण व बदलते जलवायु परिवेश के समरूप कृषि का मार्ग प्रशस्त किया है। चार साल पहले शुरू की गई ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना के सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
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इस पद्धति से फसलों को उगाने में बाजार से किसी प्रकार के रासायनिक खादों या कीटनाशकों के बिना अन्तर्वर्ती खेती कर खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है। इससे किसान खेती उत्पादन लागत को शून्य कर अपने परिवार की आर्थिकी को बढ़ा सकता है व समाज के स्वस्थ भोज्य पदार्थ उपलब्ध करवा कर 'स्वस्थ भारत-समृद्ध परिवेश' के स्वप्न करने में अपनी समर्थ भूमिका अदा कर सकता है।
खेती की ऐसी पद्धति जिसमें कीट-फफूंदनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग से फसल उत्पादन लिया जाता है। रासायनिक खेती में रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है। इस कारण किसान का रोजगार खत्म हो जाता है। ऐसी फसलें स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती तथा कई बीमारियां हो सकती हैं।
प्राकृतिक खेती कृषि-बागवानी की एक ऐसी अवधारणा है जो रसायनों के प्रयोग को हतोत्साहित कर, देसी गाय के गोबर-मूत्र और स्थानीय वनस्पतियों पर आधारित आदानों के प्रयोग का अनुमोदन करती है। कम लागत और पर्यावरण के साथ सद्भभाव बनाकर बेहतर उत्पादन देने वाली यह खेती तकनीक किसान की बाजार पर निर्भरता को कम करती है। इस खेती का मूलमंत्र हैः गांव का पैसा गांव में।
इस योजना के अंतर्गत किसानों में क्षमता निर्माण कर लगातार उनसे संपर्क बनाए रखने, निगरानी और नियमित सलाह एवं सहयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। किसान से किसान के बीच इस विधि का फैलाव करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाकर चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। किसानों को यह खेती विधि आसानी से समझ आ सके इसके लिए खेती विधि से सम्बंधित साहित्य भी राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई द्वारा निःशुल्क मुहैया करवाया जा रहा है ताकि इस पहाड़ी प्रदेश के छोटे एवं सीमांत किसानों के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सके।
शीर्ष समिति (Ape Committee)- इस योजना का मार्गदर्शन प्रदेश स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में गठित शीर्ष समिति (Ape Committee) कर रही है।
विशेष कार्यबल (State Level Task Force) - योजना का संचालन एवं निगरानी प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित विशेष कार्यबल ; (State Level Task Force) कर रहा है। इस योजना की निगरानी ‘राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई’ प्रदेश के कृषि विभाग के माध्यम से कर रही है।
जिला स्तर पर इस योजना को आत्मा परियोजना के अंर्तगत चलाया जा रहा है, जिसमें जिला में तीन अधिकारी व खंड स्तर पर 3 खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधक शामिल हैं।