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  • सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती
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  • राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई 

सफलता की कहानियां

लीना शर्मा

प्राकृतिक खेती-पहल लीना की परिवर्तन गांव का
पंज्याणू गांव में 70 बीघा क्षेत्र में हो रही प्राकृतिक खेती
परिचय

मंडी जिला के करसोग विकास खंड के पंज्याणू गांव की लीना शर्मा समूह बनाकर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की अलख जगा रही हैं। कृषि समूह पंज्याणू में 20 महिलाओं के समूह की अगुवाई कर रही लीना शर्मा ने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। अपनी 5 बीघा जमीन में प्राकृतिक खेती विधि से खेती कर लीना ने आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी इस तरफ मोड़ा है। इस खेती विधि से उन्होंने कम खर्च में मटर, आलू, लहसुन, धनिया,मेथी और गेहूं की फसलें ली हैं, जिसे देखकर आस-पड़ोस की महिलाओं ने भी उनसे यह विधि सीखकर और आज इसे अपना रही हैं। लीना ने अपने 20 महिलाओं के समूह को प्राकृतिक खेती से विभिन्न फसलें तैयार करना सिखा रही हैं, साथ ही पूरे गांव को रसायनमुक्त करने का बेड़ा भी उठाया है।’
हमारे क्षेत्र में पहले से ही खेती रसायनों का प्रयोग कम होता था इस वजह से बहुत सारे लोग कम समय में ही इस खेती विधि से जुड़ गए। हमारा समूह मिल-जुलकर सब सदस्यों के खेतों में प्राकृतिक खेती करता है और साथ ही दूसरे गांवों के लोगों को इस खेती से जोड़ने का काम भी कर रहा है। अभी तक हमने लगभग 100 लोगों को प्राकृतिक खेती से जोड़ दिया है। कम समय में ही यह खेती विधि क्षेत्र के किसानों के बीच लोकप्रिय हो गई है। लोग इस विधि को सीखने के लिए लगातार फोन करते हैं’
समूह की सदस्यों शांता शर्मा, मीना शर्मा, शांता देवी, कमली देवी, सत्या देवी, तेजी शर्मा, सरला देवी, तारा शर्मा ने बताया कि वे सभी लगभग 70 बीघा भूमि में किसानी कर रही हैं। ज्यादातर महिलाओं ने अपने खेतों में गेहूँ, मटर, आलू, गोभी, चना और लहसुन की फसल लगाई है। यह सभी अपने खेतों में देसी गाय के गोबर-गोमूत्र से बने आदानों का इस्तेमाल पालेकर विधि द्वारा कर रही हैं। समूह की सदस्य ममता शर्मा ने बताया कि सभी महिलाएं मिल-जुलकर एक-दूसरे के खेतों में काम के लिए सहयोग करती हैं। जीवामृत, घनजीवामृत एवं अन्य आदान बारी-बारी से सबके घरों में बनाए जाते हैं।
खेतों में प्राकृतिक खेती विधि के सफल प्रयोग के बाद समूह सदस्या तेजी शर्मा अब सेब की बागवानी भी इसी विधि से कर रही हैं। उन्होंने 1 बीघा जमीन पर सेब का बागीचा लगाया है। इस बागीचे के साथ वाले खेतों में उन्होंने प्याज, लहसुन और मटर की फसल के साथ सह-फसल के तौर पर धनिया लगाया है जिसकी उन्हें अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद है। तेजी शर्मा ने बताया कि उनके परिवार का प्राकृतिक खेती के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है और वे इस जहर मुक्त खेती को आगे बढ़ाने के लिए उनकी लगातार हौसला अफजाई करते हैं। प्राकृतिक खेती के भविष्य को उज्जवल बताते हुए यह महिला समूह क्षेत्र के सभी किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य लेकर तेजी से काम कर रहा है। जून 2019 में देश की नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग के माननीय उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार जी ने विशेष तौर पर इस समूह की सदस्य लीना और सत्या देवी से उनके अनुभव सांझा किये थे। यह इस समूह के लिये गौरवान्वित करने वाले क्षण रहे हैं।
गांव में देसी गाय नहीं थी तो मेरे यहां से काफी दूर पाठशाला में अध्यापक है। वे अपने साथ एक 10 लीटर की कैनी ले जाकर बच्चों के घर से गोमूत्र इकट्ठा कर सप्ताह के बाद जब घर आते थे तो साथ ले आते थे उससे हम विभिन्न आदान बनाते थे।